भारत में हर त्योहार किसी न किसी आस्था, परंपरा और विश्वास से जुड़ा हुआ है। उसी श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण पर्व है Hoi Ashtami, जिसे माताएँ अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुरक्षा के लिए मनाती हैं।
इस दिन महिलाएँ Hoi Mata की पूजा करती हैं और व्रत रखती हैं ताकि उनके बच्चे हमेशा सुखी, निरोगी और सुरक्षित रहें। इस वर्ष Hoi Ashtami 2025 का पर्व एक विशेष योग में पड़ रहा है, और इस दिन एक ऐसा उपाय बताया गया है जिसे करने से संतान पर कभी कोई विपत्ति नहीं आती।
Hoi Ashtami 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
तिथि: सोमवार, 6 अक्टूबर 2025
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 5 अक्टूबर 2025, रात 9:40 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त: 6 अक्टूबर 2025, रात 8:18 बजे
व्रत और पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
यह तिथि और मुहूर्त पंचांग के अनुसार बदल भी सकते हैं, इसलिए पूजा से पहले स्थानीय पंचांग अवश्य देखें।
Hoi Ashtami का महत्व
Hoi Ashtami का व्रत विशेष रूप से माताओं द्वारा रखा जाता है। इस दिन माँ अपने बच्चों की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और रोग-मुक्त जीवन की कामना करती हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन की गई पूजा से बच्चे सभी प्रकार के नकारात्मक प्रभावों, दुर्घटनाओं और विपत्तियों से सुरक्षित रहते हैं। यह व्रत विशेष रूप से कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रखा जाता है और यह पर्व Janmashtami के बाद आता है।
Hoi Mata कौन हैं
Hoi Mata को मातृत्व और संरक्षण की देवी माना गया है। कहा जाता है कि वे बच्चों की रक्षा करती हैं और उनके जीवन में आने वाली सभी विपत्तियों को दूर करती हैं। माताएँ इस दिन व्रत रखकर उनसे अपने बच्चों की रक्षा और समृद्ध जीवन की प्रार्थना करती हैं।
Hoi Ashtami Puja Vidhi (पूजा विधि)
सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। घर के उत्तर-पूर्व दिशा (Ishan Kon) में पूजा का स्थान तैयार करें।
मिट्टी या आटे से सात छोटी गोइयाँ (गाय के प्रतीक) बनाएं और इन गोइयों को जल, चावल, रोली और फूल अर्पित करें।
अब एक दीपक जलाकर Hoi Mata का ध्यान करें और यह मंत्र बोलें —
“Hoi Mata, meri santan ki raksha karna, un par kabhi koi vipatti na aane dena.”
संतान के माथे पर अक्षत (चावल) लगाएं और उन्हें मीठा खिलाएं। व्रत की कथा सुनें और दिन भर फलाहार रखें।
व्रत कथा (Hoi Ashtami Story in Short)
पुराणों के अनुसार, एक बार एक राजा की पत्नी ने यह व्रत नहीं किया। उसकी संतान बार-बार बीमार पड़ने लगी और अनेक बाधाएँ आईं।
तब एक वृद्धा ने उसे बताया कि उसने Hoi Mata का व्रत नहीं किया, इसलिए ऐसा हुआ। अगले वर्ष उसने श्रद्धा से व्रत रखा और उसके बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हो गए।
तब से यह विश्वास बन गया कि जो माँ यह व्रत करती है, उसके बच्चों पर कभी कोई विपत्ति नहीं आती।
वह 1 खास उपाय जो हर माँ को करना चाहिए
इस वर्ष Hoi Ashtami के दिन यदि आप यह एक उपाय करती हैं, तो संतान की सुरक्षा जीवनभर बनी रहती है।
अष्टमी के दिन पूजा के बाद सात गोइयों (गाय के प्रतीक) के पास एक दीपक जलाइए और अपने बच्चों के नाम लेकर यह प्रार्थना कीजिए —
“Hey Hoi Mata, meri santan ke jeevan se sabhi dukh, rog aur vipatti dur karo.”
इस उपाय को करने से माना जाता है कि संतानों पर कभी कोई अनिष्ट या विपत्ति नहीं आती।
इस व्रत के लाभ
संतान की दीर्घायु में वृद्धि होती है। बच्चों की सेहत और मनोबल मजबूत होता है। परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। बच्चों पर किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव नहीं होता।
निष्कर्ष
Hoi Ashtami केवल एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि माँ के प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक है। इस दिन किया गया एक साधारण-सा उपाय बच्चों के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है।
अगर माँ सच्चे मन से Hoi Mata की पूजा करती है और यह व्रत पूरी श्रद्धा से निभाती है, तो उसके बच्चे हमेशा सुरक्षित, सफल और खुशहाल जीवन जीते हैं।
Hoi Ashtami 2025 पर आप भी यह विशेष पूजा और उपाय करें और अपनी संतान के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें।